तसं मी मराठीच लिहते , पण सहज हिंदीमध्ये सुचलेली एक कविता ….
उस रात हम करवटे बदलते गए
बेखयालीमें यादे गिनते गए
देखा वो आसमान असलमें जो खाली था
छुनेकी कोशिशोंमें कितने कैसे गिरते गए
गिरते गिरते देखो पहुंचे
अलबेली बारीशके पास
सुना था कभी ख्वाबोंमें सिमटे बादल इसके
बुंद बुंद युंही बिखरते गए
देखी हमने वो बरसात जो रातभर चली
देखे थे जमीनपर भीगते लोगोंको भी
अनजान उस भीडमें पता नही कैसे
हम बुंदे मनाना सीख गए
ये खुशी और गमके साये
अभी होने लगे हमसे खफ़ा
शिकायत है उन्हे हमारी हसीसे क्योंकी
हम शिकायतोपरभी मुस्कुराते गए
और लोगोंने आखिर कह डाला हमें की
आप तो बदल गए
आप तो बदल गए…!
उस रात हम करवटे बदलते गए
बेखयालीमें यादे गिनते गए
देखा वो आसमान असलमें जो खाली था
छुनेकी कोशिशोंमें कितने कैसे गिरते गए
गिरते गिरते देखो पहुंचे
अलबेली बारीशके पास
सुना था कभी ख्वाबोंमें सिमटे बादल इसके
बुंद बुंद युंही बिखरते गए
देखी हमने वो बरसात जो रातभर चली
देखे थे जमीनपर भीगते लोगोंको भी
अनजान उस भीडमें पता नही कैसे
हम बुंदे मनाना सीख गए
ये खुशी और गमके साये
अभी होने लगे हमसे खफ़ा
शिकायत है उन्हे हमारी हसीसे क्योंकी
हम शिकायतोपरभी मुस्कुराते गए
और लोगोंने आखिर कह डाला हमें की
आप तो बदल गए
आप तो बदल गए…!
वाह । लाजवाब :)
ReplyDeleteव्वाह क्या बात है...
ReplyDeleteआप तो लेखणी के बडे हि शौकीन निकले...
बोहोत खूब...
लिखते रहियेगा...